लैब से कोरोना फैलने के विरोध में भी उठे स्वर
सेहतराग टीम
पिछले दिनों दुनिया के कुछ बड़े वैज्ञानिकों ने ये आरोप लगाया था कि कोरोना का वायरस कोविड19 दरअसल वुहान में बने चीन के वायरस शोध संस्थान से पूरी दुनिया में फैला है। चीन लगातार इस आरोप का खंडन करता रहा है मगर फ्रांस के नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक ने जब ये दावा किया तो उनकी बात को पूरी दुनिया में गंभीरता से सुना गया और चीन पर दबाव बढ़ गया।
मगर इस दावे के विरोध में भी वैज्ञानिकों का एक तबका उठ खड़ा हुआ है। कोरोना वायरस की शोध से जुड़े शोधार्थियों का कहना है कि इस बात की संभावना कम है कि नोवेल कोरोना वायरस चीन या फिर किसी और जगह के लैब से लीक हुआ है। लैब एक्सिडेंट जैसी चीजों से परिचित कई वैज्ञानिकों का यह मूल्यांकन है।
विशेषज्ञों का यह मानना है कि वायरस इंसानों और जानवरों के बीच ही ट्रांसमिट हुआ है, जैसा कि पहले की महामारियों-इबोला, मारबर्ग, सार्स और मर्स के मामले में हो चुका है। न्यूयॉर्क सिटी के इको हेल्थ अलायंस के प्रेजिडेंट पीटर डसजाक ने कहा, 'दरअसल, खतरा इसलिए पैदा हुआ है क्योंकि पूरी दुनिया में इंसान जानवरों के करीब रहते हैं। इसलिए हमें वहां फोकस करने की जरूरत है।'
शोधार्थियों का मानना है कि कोविड19 या तो सीधे चमगादड़ों से इंसान में फैला या फिर किसी अन्य जानवर से। पहले यह माना जा रहा था कि वुहान के सीफूड बाजार से कोरोना फैला है जिसमें जंगली जानवर बेचे जाते हैं। हालांकि, इसे लेकर भी कोई सबूत अभी नहीं मिल पाए हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि दुर्घटनावश वायरस तभी लीक हो सकता है जब कई तरह के संयोग बने हों और प्रायोगिक प्रोटोकॉल का पालन न किया गया हो। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया में प्रफेसर जोन्ना माजेट और प्रिडिक्ट नाम के वैश्विक प्रॉजेक्ट के निदेशक डेविस ने कहा, 'सभी सबूत इस बात का संकेत देते हैं कि यह लैब दुर्घटना नहीं थी।'
दरअसल, हाल में ट्रंप प्रशासन की तरफ से लैब दुर्घटना की यह थ्योरी आई है। महीने की शुरुआत में अमेरिकी विदेश विभाग का एक संदेश लीक हुआ था जो स्टोरी वॉशिंगटन पोस्ट ने प्रकाशित किया था। इसमें अमेरिका की तरफ से वुहान के लैब को लेकर चिंता जताई गई थी। वह शहर जहां कोरोना वायरस का पहला केस सामने आया था। खुफिया एजेंसियां दुर्घटना की संभावनाओं का मूल्यांकन कर रही हैं और पिछले बुधवार को ट्रंप ने वादा भी किया था कि घटनाक्रमों की जांच की जाएगी। उल्लेखनीय है कि चीन पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वह कोरोना को लेकर जानकारी छुपाता रहा है और अब चीन की एक और चालाकी सामने आई है। दरअसल, चीन ने कोरोना वायरस के खिलाफ सबसे कारगर मानी जा रही दवा को तभी पेटेंट कराने की कोशिश की थी जब वहां सबसे पहले इंसानों के बीच इसके फैलने की पुष्टि हुई थी।
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